Sindhu Ghati Sabhyata with WAT Technique
आज से 5000 वर्ष पूर्व ताम्र पाषाण काल में अर्थात कांस्य युग में दुनिया के 4 प्रारंभिक सभ्यता जैसे मेसोपोटामिया या सुमेरियन सभ्यता, मिस्र सभ्यता, सिंधु घाटी सभ्यता और चीनी सभ्यता था| सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार पश्चिम में बलूचिस्तान पूर्व में आलमगीरपुर(उत्तर प्रदेश), उत्तर में मंदा(जम्मू कश्मीर) तथा दक्षिण में दायमाबाद(महाराष्ट्र) तक विस्तृत था| सिंधु घाटी सभ्यता को कृषि वाणिज्य सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि कृषि और व्यापारी वर्ग का प्रभुत्व इस सभ्यता में महत्वपूर्ण था| 1921 में सर्वप्रथम दयाराम साहनी की देखरेख में हड़प्पा नामक स्थल पर खुदाई के कार्य शुरू किए गए थे और जिसके माध्यम से इस सभ्यता का पता चला जिसके कारण इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है| आधुनिक रेडियो कार्बन डेटिंग के अनुसार सिंधु घाटी की सभ्यता का काल 2500 से 1750 ईसा पूर्व निर्धारित किया गया है|
- 5000–ताम्र पाषाण– कांस्य–4–मेसोपोटामिया–मिश्र–सिंधु–चीनी।
- पश्चिम-बलूचिस्तान-पूर्व-आलम्गीर–उत्तर मंदा—-दक्षिण दायामाबाद्।
- कृषि-वाणिज्य — वर्ग का प्रभुत्व
- .1921-दयाराम–हड़प्पा– हड़प्पा सभ्यता
- रेडियो कार्बन डेटिंग–2500 से 1750 ईसा पूर्व
नगर योजना इस सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता थी| सिंधु घाटी सभ्यता में शहरों को दो भाग, दुर्ग(जिसमें शासक वर्ग रहते थे) और निचला शहर(जिसमें आम जनता का निवास स्थान था) में बटा हुआ था| मगर अपवाद के रूप में इस सभ्यता में धोलावीरा(गुजरात) शहर तीन भाग विभाजित किया गया था एवं पाकिस्तान में स्थित सिंध राज्य में चन्हु-दारो(सिंध प्रांत, पाकिस्तान)एकमात्र शहर था जहां कोई दुर्ग नहीं था। सिंधु घाटी सभ्यता में नगर योजना ग्रीड प्रणाली पर आधारित थी। यह माना जाता है कि आग से पके हुए ईटों का इस्तेमाल सर्वप्रथम सिंधु घाटी की सभ्यता के लोगों ने अपने भवन निर्माण में शुरू किया। शहर से गंदे पानी के निष्कासन के लिए नालियों का उत्तम प्रबंध, किला बंद दुर्ग एवं लोहे के औजारों की अनुपस्थिति इस सभ्यता के प्रमुख विशेषताओं में से माना जाता है। विश्व में सर्वप्रथम कपास का उत्पादन सिंधु घाटी की सभ्यता में हुआ जिसे ग्रीक भाषा में सिनडम कहा जाता है और इस कपास अर्थात सिनडम के कारण, समुद्र पथ से दुनिया के कुछ भागों से सिंधु सभ्यता के लोगों का व्यापार शुरू हुआ।
- नगर योजना
- दो भाग — दुर्ग –निचला शहर
- अपवाद धोलवीरा—-चन्हुदारो-दुर्ग
- नगर योजना ग्रीड प्रणाली
- आग-ईटों भवन
- नालियां-किला बंद- लोहे के औजार ना
- सर्वपथम कपास–ग्रीक-सिनडम–समुद्र पथ-ब्यापार
सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान गेहूं और जौ मुख्य फसल होते थे एवं इसके अलावा दाल, कपास, खजूर, खरबूजे, मटर, तिल, और सरसों के भी पैदावार किए जाते थे; धान अर्थात चावल का उत्पादन गुजरात के लोथल में साक्ष्य मिले हैं| इस काल में लोग बैल, भैंस, बकरी, सूअर, हाथी, कुत्ता, बिल्ली, गधा और ऊंट जैसे जानवरों से परिचित थे| सबसे महत्वपूर्ण पशु बिना कुबेर वाला बैल एवं एक सींग वाला गैंडा था| इस सभ्यता के दौरान लोग मुहर बनाते थे मगर आंतरिक और बाह्य व्यापार में वस्तु विनिमय प्रणाली की मुख्य रूप से प्रचलित था। इस सभ्यता में वजन और माप प्रणाली भी विकसित थी और जो 16 के अनुपात में होती थी। शवों को या तो दफनाया जाता था या जलाया जाता था और यह काम उत्तर दक्षिण दिशा में किया जाता था।
- गेहूँ, जौ मुख्य–दाल,कपास,खजूर,खरबूजा,मटर,तिल और सरसों—चावल-लोथल-साक्ष्य
- बैल,भैंस,बकरी,हूअर,हाथी,कुत्ता,बिल्ली,गधा और उँट
- बिना कुबड़ वाला बैल-एक सींग वाला गैंडा
- मुहर—आंतरिक एवं बाह्य–वस्तु विनिमय प्रणाली
- वजन और माप-16 के अनुपात
- शवों–दफनाया-जलाया-उत्तर दक्षिण
हरप्पा संस्कृति की सबसे कलात्मक कृतियों में पत्थर के बने मूर्तियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शैलखड़ी से बना 19 सेमी. लम्बा ‘पुरोहित’ का धड़ है। हरप्पा लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है और यह लिपि चित्रात्मक होती थी| इस लिपि में पहली पंक्ति दाएं से बाएं की ओर, और दूसरी पंक्ति बाएं से दाएं की ओर लिखी जाती थी| इस तरह के लिखने की शैली को सर्प लेखन या Boustrophedon कहा जाता है| सिंधु सभ्यता में प्राप्त मूर्तियों के माध्यम से पता चलता है कि उस सभ्यता के दौरान मात्री देवी या मात्री शक्ति की पूजा हुआ करती थी| इसके अलावा स्वस्तिक के निशान भी मिले हैं| पुरुष देवताओं में पशुपति महादेव अर्थात पशुओं के भगवान आद्य शिव थे| शिवलिंग की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता में व्यापक रूप से होती थी| लोगों का मुख्य व्यवसाय कताई, बुनाई, नाव बनाना, सोने के आभूषण बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना एवं मोहरे बनाना इत्यादि था|
- कलात्मक कृत्तियों–पत्थर–शैलखड़ी– सेंटीमीटर–पुरोहित का धड़
- लिपि–पढ़ा–चित्रात्मक–
- पहली पंक्ति दाएं से बाएं-दूसरी पंक्ति
- लिखने की शैली सर्प लेखन या Boustrophedon
- मूर्त्तियों के माध्यम-मातृ देवी या मातृ शक्ति
- स्वस्तिक
- पुरुष देवता–पशुपति महादेव-पशुओं—आद्य शिव
- शिवलिंग
- मुख्य ब्यवसाय कताई,बुनाई,नाव बनाना, सोने के आभूषण, मिट्टि के बरतन बनाना, मुहर बनाना
सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल और पुरातात्विक प्राप्तियां
सिन्धु घाटी सभ्यता का मानचेस्टर
- धान की भूसी
- घोड़े और जहाज की टेराकोटा आक्रति
- मातृदेवी की मूर्ति
- गेहूं और जौ
- पासा
- ताम्र तुला और दर्पण
- लाल बलुआ पत्थर
- वृहत स्नानागार
- वृहत अन्नागार
- दाढ़ी वाले पुजारी की मूर्ति
- चूड़ी कारखाना
- अलंकृत ईंटें
- खिलौना हल
- जौ
- अंडाकार आकार की बस्ती
- घोड़े की हड्डियों का पहला वास्तविक अवशेष
- विशिष्ट हड़प्पा की मिट्टी के बर्तन
- मिट्टी के बर्तन बनाने की कार्यशाला
- सिरेमिक (Ceramic) वस्तुओं में छत की टाइल (Tile), बर्तन, कप, फूलदान, घनाकार पासा
- कूबड़ वाले बैल और सांप की मूर्तियां
- तांबे से बना टूटा हुआ ब्लेड (Blade
नगर नियोजन की विशेषताएं
- सिंधु सभ्यता में हड़प्पा मोहनजोदड़ो एवं अन्य शहरों में नगर आयताकार ग्रीड पैटर्न पर बनते थे
- रास्ते एक दूसरे को समकोण पर काटती थी जिससे नगर अनेक खंडों में विभाजित हो जाती थी
- बड़ी सड़कों के साथ-साथ छोटी सड़के भी हुआ करती थी
- जल निकास व्यवस्था अत्यंत उन्नत थी– हर घर से निकलने वाली छोटी नालियां मुख्य सड़क के साथ-साथ बड़ी नालियों से जुड़ी थी एवं ढकी हुई होती थी। साफ सफाई का ध्यान रखने के लिए, थोड़ी थोड़ी दूरी पर मल कुंड बनाए गए थे।
- सार्वजनिक स्नानागारों का प्रचलन हड़प्पा नगरों की प्रमुख विशेषता थी। इन स्नानागारों में मोहनजोदड़ो का स्नानागार सबसे वृहद आकार की थी।
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता में 3 तरह के भवन पाए गए हैं जैसे निवास गृह, सार्वजनिक भवन एवं सार्वजनिक स्नानागार।
- आलमगीरपुर के अलावा लगभग हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के सारे नगरों में आग में पकाई गई ईट का प्रयोग किया गया था।
- साधारणतः प्रत्येक नगर के पश्चिमी भाग में अन्नागार, प्रशासनिक भवन,, स्तम्भोंवाले भवन, और आंगन पाए गए हैं।
- नगर आयताकार ग्रीड पैटर्न
- समकोण, अनेक खंडों
- छोटी सड़के
- जल निकास व्यवस्था — छोटी नालियां– मुख्य सड़क – बड़ी नालियों — – मल कुंड
- सार्वजनिक स्नानागारों– मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता में 3 -भवन एवं सार्वजनिक -स्नानागार।
- आलमगीरपुर के अलावा लगभग हड़प्पा — आग में पकाई गई –।
- साधारणतः प्रत्येक नगर के —- भाग में अन्नागार, –भवन,, स्तम्भोंवाले भवन, और आंगन पाए गए हैं।